Adhuri Kavita meri aur adhuri kahani uski



एक दर्द है, जो मैंने दिल में छुपा रखा, 
एक दर्द है, जो मैंने अब तक नहीं कहा,

हालत कुछ ऐसे बने कि, सब दिल में समेट लिया, 
आंसुओ को हटाकर, चेहरे पर हंसी को बिखेर लिया,

कहने को तो, उसने मुझे सब कुछ सीखा दिया,
वो भाई था मेरा, मगर उसने मेरा साथ नहीं दिया,

वो बड़ा था तो उसका जोर बहुत था,
भैया न कहो, तो बनता कठोर था,

वो बड़ा था और उसका दिल भी बड़ा था,
उसके सोच बड़ी थी और उसका ख्वाब बड़ा था,

सौ हुनर थे उसमें, पर फिर भी स्वाभाव सरल था,
सब में झट से घुल जाता, वो इतना निर्मल था,

उसके शब्दो की चमक, जब मंच पर बिखरती थी,
सभा में उसके आभार पर तालिया गरजती थी,

ज्ञान की वो प्यास थी, रतजगे कर लेता था,
हैरान होते थे इंजिनीर्स भी कंप्यूटर की ऐसी समझ वो रखता था,
लोग अक्षर कहते थे, सी ए करके गलत फील्ड में तू आ गया,
और यहाँ भी वो अपनी पहचान बना गया,

अपने सारे शौक मुझको सीखा गया, किताबों से मेरा रिश्ता बना गया,
ठोकरे लगें तो भी हार न मानना, कभी मन में कोई पूर्वाग्रह न बांधना,
बता गया वो मुझको कि मुझमें है खास क्या, दिखा गया कैसे खुद को तराशना,

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